Unsolved Questions - Short Stories (Part 1) in Hindi Short Stories by Kishanlal Sharma books and stories PDF | अनसुलझा प्रश्न - लघुकथाएं(पार्ट 1)

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अनसुलझा प्रश्न - लघुकथाएं(पार्ट 1)

1--बेसहारा
"मम्मी इरा का तुम्हारे साथ निर्वाह नही हो सकता"
उमेश इन्टर में पढ़ता था तभी उसे अपने साथ पढ़ने वाली इरा से प्यार हो गया था।इरा ईसाई थी।रमेश नही चाहता था उसका बेटा दूसरे धर्म जाति की लड़की के प्यार के चक्कर मे पड़े।उसने बेटे को इरा से दूर रहने के लिए समझाया पर व्यर्थ।
उमेश इनजियरिग करना चाहता था।रमेश ने बेटे का कानपुर में एड्मिसन करा दिया।उमेश कानपुर चला गया।रमेश ने सोचा था इरा से दूर रहकर वह उसे भूल जाएगा।लेकिन ऐसा नही हुआ।उमेश और इरा रोज फोन पर बाते करते।उमेश कॉलेज की छुट्टियों में घर आता तो उसका ज्यादातर समय इरा के साथ गुज़रता।रमेश को यह अच्छा नही लगता था।वह बेटे को इरा से अलग करना चाहता था।पर कैसे?
रमेश कोई तरकीब निकाल पाता।उससे पहले समय ने पलटा खाया। रमेश को कैंसर हो गया।हर तरह का इलाज कराने के बावजूद रमेश की तबियत दिन प्रतिदिन बिगड़ती चली गयी। और एक दिन वह इस संसार को छोड़कर चला गया।
उमेश की इंजियरिंग पूरी होते ही उसकी नौकरी लग गयी।नौकरी लगते ही उसके लिए रिश्ते आने लगे।मीरा चाहती थी उसका बेटा कोई लड़की पसंद कर ले।।लेकिन उमेश ने मां से स्पष्ट शब्दों में कह दिया,"मैं इरा के अलावा दूसरी लड़की से शादी नही करूँगा।"
मीरा जानती थीं।।उसका पति इरा को अपनी पुत्रवधु बनाना नही चाहता था।लेकिन पति अब रहा नही था।बेटे का ही सहारा था।बेटे की खुशी के लिए उसने पति की इच्छा को दरकिनार कर दिया।
इरा कान्वेंट में पढ़ी आजाद ख्यालो की लड़की थी।औरते ही नही मर्द भी उसके दोस्त थे।उसके दोस्त घर पर भी आते थे।वह चाहे जिस मर्द दोस्त के साथ घूमने चल देती।मीरा पुराने विचारो की औरत थीं।वह चाहती थी उसकी बहु मर्यादा में रहे और बड़ो का सम्मान करें।
पर इरा अपनी सास की दकियानूसी सोच से इत्तफाक नही रखती थी।इसी बात पर सास बहू में रोज तकरार होने लगी।उमेश आफिस से लौटता तो उसे सास बहू के झगड़े सुनने को मिलते।उमेश स्वंय मॉडर्न ख्यालात का था।इसलिए उसे पत्नी में कोई कमी नज़र नही आती थी।इरा सास के बंधन में रहना नही चाहती थी।पत्नी के कहने पर उमेश अलग हो गया।
मीरा ने सोचा था बेटे के सहारे शेष जीवन गुजार देगी लेकिन बेटा उसे बेसहारा छोड़ गया था।
2----मजदूरी
" क्या मुझे भी दिल्ली में काम मिल जाएगा?"
मंगेश मजदूरी करता था।गांव में मज़दूरी भी कम मिलती थी और काम भी रोज नही मिलता था।इसलिए परिवार का गुजारा जैसे तैसे होता था।
उसका दोस्त राधे कुछ साल पहले दिल्ली चला गया था।वह गांव आया।उसने बताया दिल्ली में गांव से दुगनी मजदूरी मिलती है।समय से ज्यादा काम करो तो उसका पैसा अलग मिलता है।वहाँ काम की कोई कमी नही है।"
और दोस्त के साथ वह भी दिल्ली आ गया।राधे ने उसे एक ठेकेदार के पास काम पर लगवा दिया।ठेकेदार का मल्टी स्टोरी बिल्डिंग बनाने का प्रोजेक्ट चल रहा था।एक दिन तीसरी मंजिल पर काम करते समय मंगेश का पैर फिसला और वह नीचे आ गिरा।जान तो बच गयी लेकिन वह अपाहिज हो गया .
"गांव में कम ही सही मजदूरी कर तो रहे थे,"पति की हालत देखकर पत्नी दुखी होते हुए बोली,"ज्यादा पेसो के लालच में शहर गए थे।मजदूरी करने लायक ही नही रहे।